Wednesday 9 December 2015

(Old Post 78)मंगलूर दशहरा जुलूस










मंगलूर  दशहरा जुलूस 

देखे हमने कई नज़ारे 
कुंभकरण टेब्लो मे  लेटे पैर फसारे                       

आगे देखा विघ्नेश्वर संहार कर रहे विघ्नासुर को 
फिर पाया विश्णु रूपी मोहिनी विष पिला रही असुर को 

गीता का ज्ञान देते सारथी पार्थ को 

महीला बने पुरुष नाचते मज़ेदार गीत के साथ को 

खिलौने का खेल प्रसिद्ध है जो 'बोम्ब्बे आटा' के नाम से 
आनंदित हो गयी मैं कलाकारों के काम से                  

मुझ जितनी लंबी चौड़ी एक बेताल मिली 
साथ ही उससे बड़ा राक्षस बना गुड्डा 

प्यारी ज़ू- ज़ू और एलियन की मुस्कान खिली 
पाया विभिन्न वेश भूषा मे  बच्चा,नर,नारी और बुड्ढ़ा 


यक्षगान के दृष्य था मनमोहक              
देखती रही माँ के भव्य मूर्ती को एकटक 

बैंडसेट मे रमे हुए थे कलाकार 
प्रसन्न था मुख देवी का,सुन्दर था आकार 
देवी के रूप भी थे भिन्न प्रकार 

आदिशक्ती ,शैलपुत्री ,चन्द्रघंटा ,स्कंदमाता 
बीच मे परषुराम के संदर्भ का टेब्लो नज़र आता     

कुष्माण्डिनी,कात्यायिनी,महागौरी,सिद्धिदात्री 
इतना ख़ूबसूरत नज़ारा,सजावट और आरती 

ब्रह्मचारिणी एवं अनन्य महाकाली 
कितनी प्यारी थी माँ की सिंदूर की लाली 

आयी फूलों और साजश्रृंगार से सजी माँ शारदा      
हराने सबका अज्ञान और विपदा                      
बाँटती सद्गुण,ज्ञान,सहीमार्ग सदा 

प्यारी साड़ी ,हस्त मे लीये गुलाब और पुस्तक 
जैसे उस अप्रतिम प्रतिमा मे समाकर,बनाये जीवन सार्थक 

ऐसा था नज़ारा,नज़र थी माँ की कितनी प्यारी 
लगा यूं की बसी है उन् नयनों मे दुनिया सारी 

माँ की मुस्कान है कितनी कोमल 
लगा जैसे सारी मुश्किले हो गयी टल 
शरीर का ढ़ांचा ज़रा गोलमटोल और सरल 

माँ,आज तुम नदी मे समाओगी 
दुःख तो है,पर इंतज़ार रहेगा ,तुम अगले साल ,फिर आओगी 

अदभुत ,अद्वितीय था ये नज़ारा 
हमेशा याद आयेगा सबसे प्यारा,मंगलूर दशहरा !!!






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