दिवंगत श्री मंजुनाथ वेंकटरमण कामत जी इस साल अपनी शताब्दी मना रहे होते। इस पर्व पर उनकी पोती प्रियंका की तरफ से एक कोशिश कि उनकी लिखी निर्गुण भजन पब्लिश हो पाए। प्रियंका ने कभी अपनी नानी जी श्रीमती जाह्नवी उर्फ शारदा कामत को नहीं देखा पर एक प्राथना अपनी मां श्रीमती गोमती कामत से सुनकर पुस्तक में लिखा रखा था।कोंकणी भाषा में लिखी यह प्राथना ,हिंदी से मेल खाती हैं । पर जहां जरूरत हो ,हिंदी में अनुवाद किया गया है । इस एंथोलॉजी के मूलक अपने नाना नानी को भाव पूर्ण श्रृद्धांजलि देकर अपनी एक लौटी जमा पूंजी प्रस्तुत करा गया है। पोएटिक पब्लिकेशंस को अनेक आभार की आपके द्वारा उन आत्मा को संतुष्टि दे पा रही हूं जिनका कोई अवशेष अब न रहा। श्री विट्ठल निर्गुण निराकार है और अपनी कृपा दृष्टि हम सब पर बनाए रखे , यही मनोकामना है। श्री विट्ठल,हरि विट्ठल🙏
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निर्गुण भजन
किस विध ध्यान करूं
कैसे चित्त एकाग्र करूं
नाम जप में एकाग्र करे तो
नाम तो एक नहीं है
शुभ स्मरणीय अनेक नाम को
एक चित्त में लाना है
किस विध ध्यान करूं
कैसे चित्त एकाग्र करूं
रूप का चिंता करे नयन में
रूप रहेगा कैसे
जब वह विश्वाम भरी रहता है
निराकार तुम कैसे
किस विध ध्यान करूं
कैसे चित्त एकाग्र करूं
एक चित्त में गुण गाने को
अगणित गुणयुत तुम हो
सब गुण कैसे मनन करूं
तुम निर्गुण कहलाते हो
किस विध ध्यान करूं
कैसे चित्त एकाग्र करूं
सभी नाम में,सभी रूप में
तुम हो सब सदगुन में
लेकिन जब तक एक चित्त नहीं
एक भी नहीं है मन में
किस विध ध्यान करूं
कैसे चित्त एकाग्र करूं
सागर समान चित्त मुझे दो
देख सकू में जिसमें
सच्चिदानंद का सब गुण रूप को
सभी महामाया में
किस विध ध्यान करूं
कैसे चित्त एकाग्र करूं।
✍️©️ श्री मंजुनाथ वेंकटरमण कामत
****** नित्य प्राथना
सर्वेश्वर
सर्वज्ञ
सर्वव्यापक
सर्वांतर्यामी
श्रीतिकर्ता
अभय
अनादि
अनुपम
अजर
अमर
न्यायकारी
नित्य
पवित्र
निराकार
निर्विकार
कृपापूर्ण
ॐ देवा भक्तवत्सल प्रभु
वाईट विचार(गलत विचार)
वाईट जानाले सहवास ( गलत लोगोंको सहवास)
वाईट क्रियाटुकुनू ( गलत कर्मों से )
दूर कॉर्न ( दूर करके)
योग्य जीवन कोचे तशी कॉर्न दी देवा( योग्य जीवन बनाकर रखना देवा)!
द्वारा - जाह्नवी उर्फ़ शरादा कामत अतः
गोमती कामत
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